ये कहानी है जंगल के चार दोस्तों और रहस्यमयी जंगल की है जिसका ये भाग 2 है। आज की ये Animal Story in Hindi बच्चों को दोस्ती, साहस और विश्वास की सच्ची परिभाषा सिखाती है, वह भी एक रंग-बिरंगे और जादुई जंगल के दृश्यों के साथ।
Animal Story in Hindi | Details |
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शीर्षक | जंगल के चार दोस्त और रहस्यमयी जंगल |
भाग | 2 |
लेखक | रुस्तम के राय (Rustam K Rai) |
भाषा | सरल हिंदी |
पात्र | रोहन (खरगोश), समीर (हिरण), मोहन (कछुआ), अर्जुन (कौआ), व्योम (बूढ़ा उल्लू) |
लंबाई | 1200-1300 शब्द |
पढ़ने वाले की उम्र | 6+ वर्ष के बच्चों के लिए उपयुक्त |
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जंगल की एक रहस्यमयी रात -Animal Story In Hindi
जंगल में सब कुछ शांत था। चाँदनी रात में हवा के झोंके पेड़ों की पत्तियों को सहला रहे थे। चारों दोस्त रोहन (खरगोश), समीर (हिरण), मोहन (कछुआ) और अर्जुन (कौआ) अपनी रोज़ की मुलाक़ात के बाद घर लौट चुके थे।
अचानक उस रात जंगल के दक्षिणी छोर से एक अजीब सी चमकती रोशनी और गुनगुनाने जैसी आवाज़ें आने लगीं। सब जानवर अपने घरों से झाँक कर देखने लगे लेकिन किसी को कुछ समझ नहीं आया।
अर्जुन (कौआ) जो सबसे तेज़ और बहादुर था वो बोला, “मैं उड़कर देखता हूँ कि क्या हो रहा है। सुबह तक वापस आ जाऊँगा।”
बाकी दोस्त बोले, “सावधान रहना अर्जुन!”
अर्जुन उड़ा…
सभी ने उसका बहुत देर तक इंतज़ार किया पर वह कभी वापस नहीं आया। सबको बहुत चिंता हो रही थी, सभी ने अर्जुन की तलाश में जाने का फैसला किया।
अर्जुन की तलाश
सुबह होते ही बाकी तीनों दोस्तों को चिंता होने लगी। अर्जुन का कोई सुराग नहीं था।
रोहन बोला, “ये अर्जुन की आदत नहीं है। वह कभी बिना बताए नहीं जाता।”
समीर चिंतित होकर बोला, “चलिए, उसे ढूंढते हैं। जंगल के दक्षिणी छोर पर चलते हैं जहाँ से रोशनी आ रही थी।”
मोहन, हमेशा शांत रहने वाला, सिर हिलाकर बोला, “हमें तैयार रहना होगा। वहाँ कुछ रहस्यमयी है।”
तीनों ने साथ में खाने-पीने का थोड़ा सामान और एक पुरानी लालटेन लेकर अर्जुन की तलाश में निकल पड़े।
रहस्यमयी गुफा
जैसे-जैसे वे जंगल के गहरे हिस्से की ओर बढ़े, पेड़ों की घनी छाया और अजीब सी खामोशी उनके कदमों को और भारी बना रही थी।
अचानक समीर बोला, “देखो! वहाँ कुछ है!”
एक पुरानी गुफा दिख रही थी, जिसके बाहर कुछ पत्तियाँ जल रही थीं और अंदर से हल्की नीली रोशनी आ रही थी। गुफा का मुँह काई और बेलों से ढका हुआ था।
रोहन फुसफुसाया, “शायद अर्जुन वहीं है…”
तीनों गुफा के अंदर धीरे-धीरे घुसे।
उल्लू और जंगल का रहस्य
गुफा के अंदर गर्माहट थी और नीली रोशनी चारों तरफ फैली हुई थी। दीवारों पर कुछ प्राचीन चिन्ह बने हुए थे जैसे किसी ने भूल चुके युग की कहानी गाढ़ी हो।
अचानक, एक पेड़ की डाली जैसी लकड़ी पर बैठा एक बूढ़ा उल्लू बोला,
“तुम लोग अपने दोस्त की तलाश में आए हो?”
तीनों चौंक गए!
रोहन हिम्मत जुटाकर बोला, “हाँ! क्या आप जानते हैं वो कहाँ है?”
उल्लू बोला, “मैं हूँ व्योम, इस जंगल का सबसे पुराना रक्षक। मैं जानता हूँ कि अर्जुन कहाँ गया… लेकिन उससे पहले तुम्हें एक सच्चाई जाननी होगी।”
प्राचीन रहस्य की परतें
व्योम बोला, “सैकड़ों साल पहले, इस जंगल के नीचे एक जादुई द्वार बनाया गया था। उस द्वार के पीछे छिपा है एक अनंत ऊर्जा का स्रोत, जिसे अच्छे या बुरे कामों के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।”
“हर सौ वर्षों में वह द्वार जागता है और तब एक रक्षक चुना जाता है। इस बार वह रक्षक है… अर्जुन।”
तीनों दोस्त एक साथ बोले, “क्या? अर्जुन!”
व्योम बोला, “हां, लेकिन उसे उस द्वार तक पहुंचने के लिए कई परीक्षाओं से गुजरना होगा… और वह अब तुम्हारी मदद के बिना नहीं लौट सकता।”
चमकता द्वार
व्योम उन्हें गुफा के और अंदर ले गया। वहां दीवार के नीचे एक बड़ी सी पत्थर की चट्टान थी, जो धीरे-धीरे चमकने लगी। और फिर… वहाँ एक जादुई द्वार उभरा. उसकी सतह पर चमकते चिन्ह और उसके भीतर एक नीली रोशनी।
समीर बोला, “क्या हमें भी अंदर जाना होगा?”
व्योम बोला, “अगर तुम अपने दोस्त को वापस लाना चाहते हो, तो हाँ। लेकिन यह रास्ता आसान नहीं होगा।”
तीनों दोस्त एक-दूसरे की तरफ देखे और बोले, “हम अपने दोस्त को नहीं छोड़ सकते। हम जाएंगे!”
व्योम मुस्कराया, “तो ठीक है… लेकिन याद रखना – सच्ची दोस्ती, साहस और समझदारी ही इस रहस्य का हल है।”
जंगल के चार दोस्त और रहस्यमयी जंगल (भाग 1)
द्वार खुलता है
गुफा के अंदर वो चमकता हुआ जादुई द्वार धीरे-धीरे कंपन करने लगा था। जैसे ही रोहन, समीर और मोहन ने साथ में हाथ रखा, द्वार से एक नर्म सी नीली रोशनी फैली और धीरे-धीरे वह खुल गया।
व्योम (बूढ़ा उल्लू) बोला,
“अब आगे जो दिखेगा, वह किसी सपने जैसा लगेगा — लेकिन सच्चाई वही होगी जो तुम्हारा दिल मानेगा। साहस रखो।”
जैसे ही तीनों अंदर गए, वे एक नई दुनिया में पहुँच गए — जहाँ पेड़ हवा में तैर रहे थे, नदियाँ उल्टी बह रही थीं और हर चीज़ चमक रही थी।
पहली परीक्षा
एक चमकते मैदान में उन्हें एक बड़ा पत्थर दिखा, जिस पर लिखा था:
“पहेली हल करो, तभी रास्ता खुलेगा”
फिर एक आवाज़ आई —
“एक ऐसा दोस्त जो सबसे धीमा है, पर अंत तक साथ देता है — वह कौन?”
रोहन और समीर सोच में पड़ गए। लेकिन मोहन मुस्कराया और बोला,
“ये तो मेरे बारे में है।”
तुरंत पत्थर गायब हो गया और उनके सामने एक पुल उभर आया, जो हवा में तैर रहा था।
दूसरी परीक्षा
पुल पार करते ही सामने एक शीशों का जंगल आया। उसमें हर दिशा में सिर्फ परछाइयाँ और भ्रम दिखाई दे रहे थे।
समीर ने कहा, “हमें पता नहीं चल रहा हम कहाँ हैं!”
व्योम की आवाज़ आई,
“दूसरे की आँखों से देखोगे, तभी रास्ता साफ़ होगा।”
मोहन ने अपनी पीठ पर रोहन को बैठाया, और समीर ने आँखें बंद कीं। अचानक सबको एक ही दिशा में सच्चा रास्ता दिखने लगा।
उनका आपसी भरोसा ही उस रास्ते की कुंजी थी।
अर्जुन का संदेश
आगे एक झील आई, जिसके बीचों-बीच एक चट्टान पर कुछ लिखा था।
वहाँ एक कौए के पंख के पास लिखा था:
“मैं ठीक हूँ। मैं परीक्षा में हूँ। अगर तुम यहाँ तक आ गए हो, तो हम फिर मिलेंगे।” – अर्जुन
तीनों भावुक हो गए, लेकिन अब उन्हें यकीन था कि अर्जुन यहीं कहीं पास में है।
अंतिम द्वार
अब वे एक आखिरी चमकते द्वार तक पहुँचे, जिसके सामने एक छाया खड़ी थी।
वह कोई डरावना जीव नहीं था बल्कि वह भय था, जो हर किसी के मन में होता है।
वह बोला, “क्या तुम तैयार हो अपने दोस्त के लिए अपने डर से लड़ने को?”
तीनों ने एक साथ कहा,
“हाँ!”
तभी रोशनी फैली, और द्वार खुल गया।
अर्जुन की वापसी
द्वार के पीछे अर्जुन था आँखें बंद किए, लेकिन जैसे ध्यान में बैठा हो।
जैसे ही तीनों पहुँचे, अर्जुन की आँखें खुलीं।
वह मुस्कराया,
“मैं जानता था तुम आओगे। हमारी दोस्ती ही मेरी ताकत बनी।”
चारों दोस्त गले मिले।
पीछे से व्योम की आवाज़ आई —
“अब ये रहस्य तुम्हारे भरोसे है। तुम्हारी दोस्ती ने इस जंगल को बचा लिया।”
समापन
चारों दोस्त जंगल लौटे, लेकिन अब वे सिर्फ दोस्त नहीं — जंगल के रक्षक बन चुके थे।
उन्होंने जंगल के बाकी जानवरों को यह नहीं बताया कि क्या हुआ — लेकिन अब हर जानवर जानता था कि सच्ची दोस्ती में जादू होता है।
कहानी से सीख (Moral of the Story):
- सच्ची दोस्ती समय और परिस्थिति की मोहताज नहीं होती – यह हर मुश्किल में साथ देती है।
- भरोसा और सहयोग से बड़ी से बड़ी मुश्किल को पार किया जा सकता है।
- हर डर को हराया जा सकता है अगर हम अपने दोस्तों के साथ खड़े रहें।
- समझदारी और धैर्य से हम किसी भी पहेली या भ्रम का हल निकाल सकते हैं।
- एकता में ही शक्ति है – जब हम मिलकर चलते हैं, तो रास्ता खुद-ब-खुद बनता जाता है।
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