Animal Story in Hindi -जंगल के चार दोस्त: समय की गिरह (भाग 3)

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इस कहानी में समीर (खरगोश), मोहन (हिरण), रोहन (कछुआ) और अर्जुन (कौआ) एक रहस्यमयी घड़ी और समय की जादुई गिरह का सामना करते हैं। अगर आप Animal Story in Hindi के शौक़ीन है तो ये कहानी आपके लिए है।

यह कहानी बच्चों को दोस्ती, आत्म-विश्वास और बलिदान की सच्ची भावना सिखाती है। यह भाग रोमांच, भावना और शिक्षा से भरपूर है और बच्चों को अंत तक बांधे रखता है। पढ़ें इस रोमांचक अंत को, और जानें कि कैसे चार दोस्त जंगल की तकदीर बदलते हैं।

Animal Story in HindiDetails
शीर्षकजंगल के चार दोस्त: समय की गिरह
भाग3 (Final Part)
लेखकरुस्तम के राय (Rustam K Rai)
भाषासरल हिंदी
पात्ररोहन (खरगोश), समीर (हिरण), मोहन (कछुआ), अर्जुन (कौआ), व्योम (बूढ़ा उल्लू)
लंबाई1200-1300 शब्द
पढ़ने वाले की उम्र6+ वर्ष के बच्चों के लिए उपयुक्त
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  1. जंगल के चार दोस्त: भाग 1
  2. जंगल के चार दोस्त: भाग 2

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बदला-बदला सा जंगल -Animal story in hindi

अब जंगल में सब कुछ शांत और सुंदर दिख रहा था। हरे-भरे पेड़ और पक्षियों की मीठी चहचहाहट। लेकिन समीर (खरगोश) की आँखों में एक बेचैनी सी थी। वो बार-बार घबरा कर इधर-उधर देख रहा था, जैसे उसे किसी चीज़ की कमी महसूस कर रहा हो।

समीर ने धीरे से पूछा, “तुमने महसूस किया, मोहन?” “ये जंगल… कुछ अलग लग रहा है, जैसे सबकुछ तो है पर कुछ गायब है।”

मोहन (हिरण) ने भी सर हिलाया “हां, मुझे भी लगता है जैसे ये वही जंगल नहीं रहा। अब यहाँ पहले जैसी हलचल नहीं है।”

तीनों दोस्त, समीर, मोहन और रोहन (कछुआ) अर्जुन (कौआ) को ढूंढ़ने निकल पड़े। अर्जुन एक ऊँचे पेड़ की शाखा पर बैठा था और बिना पलकें झपकाए आसमान की ओर देख रहा था।

“अर्जुन!” रोहन ने पुकारा, “तुम ठीक हो?”

अर्जुन ने धीरे से गर्दन घुमाई और नीचे देखा। “मैंने फिर से उसे देखा… वो घड़ी,” उसने फुसफुसाते हुए कहा।

रहस्यमयी घड़ी की वापसी

अर्जुन की बात सुनने के बाद सभी उसी जगह पहुंचे जहाँ पहले अर्जुन ने उस घड़ी को देखा था। जंगल का वो कोना काफी पुराना था, झाड़ियों से ढँका हुआ और हवा भी वहां कुछ भारी सी लग रही थी। तभी समीर की नजर घास के बीच में पड़ी, जहाँ कुछ चमक रहा था।

वो चमीला पदार्थ दरअसल एक पुरानी घड़ी थी, लेकिन ये कोई आम घड़ी नहीं थी। इसमें सूइयाँ उल्टी दिशा में घूम रही थीं और ठीक बीच में एक नीली रोशनी जल रही थी। जैसे ही चारों दोस्त उसके करीब पहुंचे घड़ी अचानक से हिलने लगी और एक गहरी, गूंजती आवाज़ में बोलने लगी:

समय की गिरह खुली नहीं, जब तक दिलों में हो संदेह कहीं।
चार दिल, एक संग तभी खुलेगा समय का जंग।

चारों दोस्त इसके बाद सन्न रह गए। तभी घड़ी गायब हो गई और उसकी जगह ज़मीन पर एक चमकता हुआ नक्शा उभर आया।

अक्षय और सुरंग की सच्चाई

नक्शा जंगल में एक सुरंग की ओर इशारा कर रहा था जिसे उस नक़्शे में “सपनों की सुरंग” का नाम दिया गया था। रास्ता लंबा और डरावना था लेकिन सभी बहादुर दोस्त पीछे नहीं हटे। रास्ते में उन्हें मिला अक्षय एक बूढ़ा, सफेद फर वाला लोमड़ी जिसकी आँखों बड़ी थी।

“मैं जानता था कि तुम आओगे,” अक्षय ने धीरे से कहा। “तुम चारों ही हो जिनके दिल एक जैसे धड़कते हैं क्यूंकि तम सभी एक दुसरे से अच्छी दोस्ती निभाते हो। लेकिन समय की गिरह कोई ताला नहीं है जो चाबी से खुले ये तो मन और आत्मा की परीक्षा है।”

“क्या हमें सुरंग में जाना होगा?” मोहन ने पूछा।

“हां,” अक्षय ने कहा। “और वहाँ, तुम अपने आप से मिलोगे अपने सबसे बड़े डर से।”

बिछड़ते रास्ते, भीतर की यात्रा

जैसे ही चारों दोस्त सुरंग के भीतर घुसे जंगल का वो अन्धकार उन्हें घेरने लगा। दीवारों पर नीली रौशनी थी और हवा में एक अजीब सी सुगंध लेकिन कुछ ही कदम बाद न जाने सब सब एक-दूसरे से कैसे बिछड़ गए।

समीर खुद को एक खुले मैदान में पाया जहाँ वो अकेला था और उसके चारों ओर बड़े-बड़े जानवर उसे डराने लगे। समीर को बहुत डर लग रहा था लेकिन तभी उसे अर्जुन की आवाज़ याद आई “डर को पहचानो, उससे भागो मत।” समीर ने आँखें बंद कीं और कहा “मैं अब कमजोर नहीं हूँ।”

मोहन वापस अपने पुराने दिनों में पहुँच गया जब वो अकेला रहता था और किसी से बात नहीं करता था। वो फिर से वही उदासी और अकेलापन महसूस करने लगा। लेकिन अब उसके पास यादें थीं अपने दोस्तों की जो उसे कभी अकेला नहीं छोड़ते थे। उसने आँखें खोलीं और चिल्लाया “मैं अब अकेला नहीं हूँ!”

रोहन तेज़ भागते जानवरों के साथ एक दौड़ में था। वह बार-बार गिरता खुद को संभालता और फिर तेज़ चलाने की कोशिश करता। लेकिन हर बार हारता। फिर उसने खुद से कहा “शांति भी एक ताक़त है। मैं जैसा हूँ, वैसा ही अच्छा हूँ।”

अर्जुन को एक काली परछाई ने रोका जो बिल्कुल उसी जैसी दिखती थी। वो परछाई बोली “तू कब तक खुद से भागेगा? क्या फिर छुपेगा?”

अर्जुन ने उसकी आँखों में देखा और कहा “अब नहीं। अब मैं सच का सामना करूँगा।”

समय की गिरह खुलती है

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इन सब के बाद जैसे ही चारों दोस्त फिर से एक-दूसरे के सामने आए, सुरंग की दीवारें अचानक से चमकने लगीं। नीली रोशनी में अब फिर वही घड़ी हवा में तैरती हुई वापस आई।

इस बार, उसने धीरे से कहा:

चार दिल, एक भावना, यही है समय की असली साधना।
जब तुमने खुद को पहचाना, समय ने खुद को तुम्हारे सामने जाना।

घड़ी की सूइयाँ रुक गईं और तभी सामने एक विशाल दरवाज़ा खुला और उस दरवाज़े से भी चमकदार खूब रोशनी निकल रही थी।

गिरह खुल चुकी थी।

जंगल की हवा एकदम बदल गई। सूखे पेड़ फिर से हरे हो गए, नदियाँ बहने लगीं, और फिर से पहले की तरह चारों ओर खुशबू फैल गई।

अंतिम फैसला

लेकिन तभी अक्षय ने कहा, “गिरह खुली तो है, लेकिन इसे स्थिर रखने के लिए किसी एक को सुरंग के अंत में हमेशा के लिए बैठना होगा, ताकि समय फिर कभी ना बिगड़े।”

तीनों दोस्त एक-दूसरे की ओर देखने लगे।

अर्जुन ने हल्की मुस्कान दी। “तुम सबने मुझे दो बार वापस लाया। अब मेरी बारी है।”

“नहीं!” समीर चिल्लाया।

“प्लीज मत जाओ,” रोहन बोला।

लेकिन अर्जुन धीरे से बोला, “मैं रहूँगा, लेकिन तुम सबकी यादों में।”

वो सुरंग की ओर बढ़ा और जैसे ही उसके पंख रोशनी में समा गए वह चमकदार दरवाज़ा धीरे-धीरे बंद हो गया।

नई शुरुआत

इस घटना के बाद आज कई साल बीत चुके थे। जंगल पहले से भी ज्यादा सुंदर हो गया था। बच्चे अब समीर, मोहन और रोहन की कहानियाँ सुनते थे। और अब पूरे जंगल में हर साल, “अर्जुन दिवस” मनाया जाता था।

तीनों दोस्त एक ऊँचे टीले पर बैठते, और आकाश की ओर देखते। और कभी-कभी… सचमुच… एक चमकता हुआ काला कौआ आकाश में उड़ता दिखता, जैसे वो अब भी सबका ध्यान रख रहा हो।

सीख:

  • सच्ची दोस्ती समय और कठिनाइयों से भी ऊपर होती है।
  • खुद को पहचानना, और अपने डर का सामना करना, असली साहस होता है।
  • और कभी-कभी, किसी के लिए बलिदान देना, पूरी दुनिया को बचा सकता है।

कहानी से सीख (Moral of the Story):

  1. सच्ची दोस्ती समय और परिस्थिति की मोहताज नहीं होती, सच्ची दोस्ती हर मुश्किल में साथ देती है।
  2. भरोसा और सहयोग के मिलने से बड़ी से बड़ी मुश्किल को पार किया जा सकता है।
  3. हर डर को हराया जा सकता है अगर आपके अपने दोस्त साथ खड़े हों।
  4. समझदारी और धैर्य से हम किसी भी पहेली का हल निकाल सकते हैं।
  5. एकता में ही शक्ति है – जब हम साथ मिलकर चलते हैं तो रास्ता खुद-ब-खुद बनता जाता है।

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