राहुल और अंजलि की Heart Touching Love Story in Hindi पढ़ें, जो प्यार, त्याग और सपनों की एक ऐसी दिल छूने वाली कहानी है जिसे पढ़ने के बाद आपकी भी आंखें नम्म हो जाएगी। यह रियल लाइफ रोमांटिक लव स्टोरी हर उस शख्स के लिए है, जो सच्चे प्यार की गहराई को महसूस करना चाहता है। इस कहानी को पढ़कर आप न सिर्फ उनकी प्रेम कहानी में खो जाएंगे, बल्कि जिंदगी के उतार-चढ़ाव से जूझने की हिम्मत भी मिलेगी।
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कहानी शीर्षक | राहुल अंजलि की प्रेम कहानी |
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लेखक | रुस्तम के राय |
भाषा | हिंदी |
कहानी प्रकार | दर्द भरी प्रेम कहानी |
पात्र | राहुल और अंजलि |
पन्ने | 7 |
मूल्य | निशुक्ल |
डाउनलोड उपलब्ध | YES |
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राहुल और अंजलि के प्यार की कहानी का सार
मिर्ज़ापुर के छोटे से शहर का राहुल एक किताबों की दुकान चलाने वाला मेहनती लड़का था और अंजलि पत्रकार बनने की चाह रखने वाली एक सपनों से भरी लड़की थी, दोनों की मुलाकात होती है। किताबों से शुरू हुआ उनका प्यार गहरा होता जाता है लेकिन परिवार, ज़िम्मेदारियाँ उनके रास्ते में आड़े आती हैं। क्या उनका प्यार समय और बलिदान की कसौटी पर खरा उतरेगा? प्यार, सपनों और बलिदान की यह अनकही दास्तान है। पढ़िए यह दिल को छू लेने वाली कहानी heart touching love story in hindi और pdf download भी करें।
प्रेम कहानी की शुरुआत
एक छोटे से शहर मिर्ज़ापुर की गलियों में बच्चों की हँसी गूँजती थी और सुबह की चाय की चुस्कियों के साथ लोग ज़िंदगी की बातें करते थे। यहीं रहता था 26 साल का एक साधारण सा लड़का राहुल। उसके पिता को कई सालों से बीमारी ने जकड़ रखा जिसके कारण राहुल ने अपनी पढ़ाई छोड़कर परिवार की मदद करने का सोचा और उनकी छोटी-सी किताबों की दुकान संभालने में जुट गया। राहुल को किताबों से प्यार था और वह हर किताब में एक नई दुनिया ढूँढता था। वह दिनभर किताबें बेचता, ग्राहकों से हँसी-मज़ाक करता और रात को अपनी पुरानी डायरी में कुछ किस्से कहानियां लिखता था।
दूसरी तरफ थी 22 साल की एक कॉलेज की छात्रा अंजलि, जिसके सपने आसमान छूने वाले थे। वह पत्रकार बनना चाहती थी और अपनी बात को अपने शब्दों के ज़रिये दुनिया तक पहुँचाना चाहती थी। वह अपने कॉलेज के अखबार के लिए लेख लिखती और अक्सर पुरानी किताबों की तलाश में शहर की गलियों में यहाँ वहां भटकती और इसी तरह उसकी मुलाकात राहुल से हुई।
राहुल और अंजलि की पहली मुलाकात
एक दोपहर जब सूरज की गर्मी थोड़ी कम थी तो अंजलि राहुल की दुकान पर एक किताब ढूंढने आई। दुकान में घुसते ही उसकी नज़र किताबों की अलमारियों पर गई और वह उनमें खो सी गई। राहुल जो काउंटर पर बैठा कुछ लिख रहा था उस ने उसे देखा और पूछा, “आप क्या ढूँढ रही हो?”
“मुंशी प्रेमचंद की ‘गोदान’,” अंजलि ने मुस्कुराते हुए कहा।
“वो तो मेरे पास है, लेकिन थोड़ा पुराना संस्करण (ओल्ड वर्शन) है, चलेगा?” राहुल ने एक शेल्फ से किताब निकालते हुए कहा।
अंजलि ने किताब को देखा और बोली, “पुरानी किताबों में ही तो ज़िंदगी की खुशबू होती है।” यह कहकर उसने किताब ले ली और साथ ही कुछ समय तक और भी किताबें खंगाली जिसमे उसे और भी बहुत सी किताबें मिली जो उसे हमेशा से चाहिए थी।
उस दिन दोनों ने किताबों, लेखन, हिंदी कहानियां, प्रेम कहानिया, हिंदी नोवेल्स और ज़िंदगी के बारे में खूब बातें की। राहुल को अंजलि की बेबाकी और उत्साह पसंद आया और अंजलि को राहुल की सादगी और किताबों के प्रति प्यार। वहां से जाने से पहले अंजलि ने कहा, “तुम्हारी दुकान तो किसी खज़ाने से कम नहीं है। मैं फिर से इसे लूटने आऊँगी।”
राहुल और अंजलि के बीच प्यार की शुरुआत
अंजलि राहुल की दुनाक पर बार-बार आने लगी, कभी किताब लेने, तो कभी बस राहुल से बात करने। दोनों की बातें अब किताबों से आगे बढ़कर सपनों तक पहुँचने लगीं थी। राहुल ने अंजलि को बताया कि वह पहले इंजीनियर बनना चाहता था लेकिन पिता की बीमारी ने उसे अपना सपना पूरा करने से रोक दिया। अंजलि ने अपनी डायरी से एक लेख पढ़कर सुनाया जिसमें उसने अपने शहर की समस्याओं के बारे में लिखा था जिसे वह अख़बारों में छापने के बारे में सोच रही थी, राहुल भी उसकी लेखनी से बहुत प्रभावित हुआ।
एक शाम जब दुकान बंद करने का समय हुआ तो राहुल ने अंजलि को पास की चाय की दुकान पर चलने को कहा। दोनों ने चाय की चुस्कियाँ लेते हुए घंटों बातें की। अंजलि ने हँसते हुए कहा, “राहुल, तुम बिलकुल किताबों की तरह हो—बाहर से साधारण, लेकिन अंदर से दिलचस्प कहानियों से भरे हुए।”
राहुल ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया, “और तुम एक ऐसी कहानी हो, जिसे मैं बार-बार पढ़ना चाहता हूँ।”
उस रात राहुल ने अपनी डायरी में लिखा: “अंजलि, तुम मेरी ज़िंदगी का वो पन्ना हो, जो मैंने कभी नहीं लिखा, लेकिन हमेशा पढ़ना चाहता था।”
प्यार का गहरा बंधन
समय के साथ उनका प्यार गहरा होता गया। राहुल अंजलि के लिए छोटी-छोटी चीज़ें करता, कभी उसकी पसंद की किताब अपनी दूकान की रेक में रखता तो कभी उसके लिए एक कविताएँ, कहानियाँ लिखता। अंजलि भी राहुल के लिए अपने लेखों में उसे छुपे हुए तरीके से ज़िक्र करती। एक दिन जब बारिश हो रही थी तो दोनों एक पुराने मंदिर के आँगन में रुके। अंजलि ने कहा, “राहुल, अगर मैं पत्रकार बन गई तो तुम मेरे लिए पहला इंटरव्यू दोगे न?”
राहुल ने हँसकर कहा, “पहला और आखिरी, दोनों तुम्हारा ही होगा।”
लेकिन आपने वो लाइन तो सुनी ही होगी “ये प्यार नहीं आसान” और इसी तरह इस प्यार की राह में भी मुश्किलें आ गईं। अंजलि के परिवार को उनके रिश्ते की खबर मिली और उसके पिता ने साफ कहा, “राहुल एक दुकान चलाता है, उसके पास कुछ नहीं है, तुम्हारी शादी एक अच्छे घराने में ही होगी।” अंजलि ने बहुत समझाने की कोशिश की, लेकिन उसका परिवार नहीं माना। राहुल के घर में भी चिंता थी। उसकी माँ ने कहा, “बेटा, पहले अपने पिता का इलाज करवा फिर प्यार की बात करना।”
प्यार की राह नहीं आसान
राहुल ने ठान लिया कि वह अपने परिवार की ज़िम्मेदारी पूरी करेगा और अंजलि के परिवार का भरोसा जीतेगा। उसने दुकान के साथ-साथ पार्ट-टाइम ट्यूशन शुरू कर दी ताकि पिता के इलाज के लिए पैसे जमा कर सके। अंजलि भी चुपके-चुपके राहुल से मिलती और उसका हौसला बढ़ाती। वह अपने कॉलेज के अखबार में लिखने लगी और धीरे-धीरे शहर में उसकी पहचान बनने लगी।
एक दिन अंजलि ने राहुल को एक लेख दिखाया जिसमें उसने लिखा था, “सपने वो नहीं जो सोते वक्त देखे जाते हैं, सपने वो हैं जो आपको सोने न दें।” राहुल ने पढ़कर कहा, “ये तुमने मेरे लिए लिखा न?” अंजलि ने नज़रे नीची करके हाँ में सिर हिलाया।
महल ढहे, सपने टूटे, आस टूटी, साथ छूटा
लेकिन ज़िंदगी ने उनके लिए एक बड़े इम्तिहान की तैयारी कर रखी थी। एक रात राहुल के पिता की हालत बहुत खराब हो गई, राहुल को अपने पिता को अस्पताल में भर्ती करने के लिए बहुत पैसे चाहिए थे जो उसके पास नहीं थे। उसने अपनी दुकान गिरवी रख दी और हर संभव कोशिश की लेकिन कुछ दिन बाद उसके पिता चल बसे। राहुल टूट गया। वह कई दिनों तक अंजलि से मिलने नहीं गया क्योंकि अब उसे लगता था कि वह अब उसे खुशी नहीं दे सकता।
उसी दौरान अंजलि को पता चला कि उसके पिता ने उसकी शादी एक बड़े बिजनेसमैन के बेटे से तय कर दी है। अंजलि ने विरोध किया लेकिन उसे घर में बंद कर दिया गया। उसने राहुल को एक चिट्ठी लिखी:
“राहुल, तुम मेरी ताकत हो। मैं तुमसे दूर नहीं जाना चाहती। प्लीज़, मेरे लिए हिम्मत रखो।”
राहुल ने चिट्ठी पढ़ी, लेकिन वह बुरे हालातों के बीच दब कर इतना टूट चुका था कि उसे इसके आगे कुछ सूझ नहीं रहा था। उसने अंजलि को जवाब लिखा: “अंजलि, तुम्हारी खुशी मेरे लिए सब कुछ है। मैं तुम्हें दुख नहीं दे सकता।”
बलिदान का समय
राहुल ने फैसला किया कि वह अंजलि को उसके परिवार की इच्छा के खिलाफ नहीं ले जाएगा। वह नहीं चाहता था कि अंजलि अपने परिवार को खो दे। राहुल ने अंजलि को एक आखिरी बार मिर्ज़ापुर के उस पुराने मंदिर में मिलने बुलाया, जहाँ वे बारिश में मिले थे। दोनों उस दिन वहां आखिरी बार मिले।
अंजलि की आँखों में आँसू थे। उसने कहा “राहुल, तुम मुझे छोड़ क्यों रहे हो?”
राहुल ने उसका हाथ पकड़ा और कहा, “मैं तुम्हें नहीं छोड़ रहा, अंजलि। मैं तुम्हें आज़ाद कर रहा हूँ। तुम्हारे सपने, तुम्हारी मुस्कान—ये सब मेरे लिए ज़रूरी हैं।”
अंजलि रोते हुए उससे लिपट गई। उसने कहा, “तुम मेरे दिल में हमेशा रहोगे।”
आखरी मुलाक़ात और शुरुआत
अंजलि की शादी हो गई। राहुल ने अपनी दुकान वापस शुरू की और धीरे-धीरे अपनी ज़िंदगी को पटरी पर लाया। वह अंजलि की याद में हर रात अपनी डायरी में कुछ लिखता। एक साल बाद, अंजलि का एक लेख एक बड़े अखबार में छपा। उस लेख का शीर्षक था: “प्यार वो है, जो बलिदान में भी ज़िंदा रहता है।” राहुल ने वह लेख पढ़ा और उसकी आँखें नम हो गईं, उसे लगा जैसे अंजलि ने यह उसके लिए ही लिखा हो।
कुछ महीनों बाद मिर्ज़ापुर में एक साहित्यिक मेले (Literary fair) का आयोजन हुआ। राहुल ने अपनी किताबों की दुकान का स्टॉल वहां लगाया। वह किताबें सजाने में व्यस्त था जब उसे एक जानी-पहचानी आवाज़ सुनाई दी। उसने नज़र उठाई तो सामने अंजलि खड़ी थी। वह अब एक मशहूर पत्रकार बन चुकी थी। आज भी अंजलि की आँखों में वही चमक थी, जो राहुल को पहली मुलाकात में भा गई थी।
दोनों की नज़रें टकराईं। राहुल का दिल तेज़ी से धड़कने लगा, लेकिन वह खामोश रहा। अंजलि ने धीरे से कहा, “राहुल, तुम्हारी दुकान अभी भी वैसी ही है, जैसे कोई खज़ाना।”
राहुल ने मुस्कुराकर जवाब दिया, “और तुम अभी भी वही कहानी हो, जिसे मैं कभी भूल नहीं पाया।”
दोनों ने कुछ देर बात की। अंजलि ने बताया कि वह अब दिल्ली में रहती है और एक बड़े अखबार के लिए काम करती है। उसने अपनी शादी के बारे में ज़िक्र नहीं किया और राहुल ने भी उसे इस बारे में कुछ नहीं पूछा। लेकिन उसकी बातों में एक दर्द था जो राहुल समझ गया।
बातें करते करते अंजलि ने अपनी डायरी से एक पन्ना निकाला और राहुल को दिया। उसमें लिखा था:
“कुछ प्यार अधूरे रहकर भी पूरे होते हैं। राहुल, तुम मेरी वो कहानी हो, जो कभी खत्म नहीं होगी।”
प्रेम कहानी का अंत
उस दिन के बाद राहुल और अंजलि कभी नहीं मिले। लेकिन राहुल ने उस पन्ने को अपनी दुकान के एक कोने में सजा कर रखा। वह हर दिन उसे देखता और मुस्कुराता। उसने अपनी ज़िंदगी को नए सिरे से शुरू किया।
अंजलि दिल्ली में अपने करियर में आगे बढ़ती रही। उसने कई लेख लिखे, जो लाखों लोगों तक पहुँचे। लेकिन हर लेख में कहीं न कहीं राहुल की छाप थी। एक दिन उसने एक किताब लिखी जिसका नाम था “एक अधूरे प्यार की कहानी।” उस किताब की पहली कॉपी उसने मिर्ज़ापुर भेजी, राहुल की दुकान के पते पर।
जब राहुल ने वह किताब खोली, तो पहले पन्ने पर लिखा था: “राहुल, तुम मेरी पहली और आखिरी कहानी हो।”
राहुल ने किताब को सीने से लगाया और गंगा किनारे बैठकर उसे पढ़ा। उसकी आँखें नम थीं, लेकिन चेहरे पर एक सुकून भरी मुस्कान थी। उसे यकीन था कि उनका प्यार भले ही अधूरा रहा लेकिन हमेशा ज़िंदा रहेगा—किताबों, सपनों, और यादों में।
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निष्कर्ष: राहुल और अंजलि की प्रेम कहानी!
राहुल और अंजलि की ये Heart touching love story in hindi हमें सिखाती है कि सच्चा प्यार सिर्फ़ मिलन में नहीं बल्कि बलिदान और सपनों में भी ज़िंदा रहता है। राहुल ने अंजलि को अपने प्यार के बंधन से आज़ाद किया ताकि वह अपने सपनों को जी सके और अंजलि ने अपनी लेखनी में राहुल के प्यार को अमर कर दिया।
क्या आप भी राहुल और अंजलि की इस प्यार की कहानी की ही तरह अपने प्यार के लिए भी बलिदान दे सकते हैं? अपने विचार नीचे कमेंट करें और इस दिल को छूने वाली कहानी को अपने दोस्तों के साथ शेयर करें। ऐसी और हिंदी कहानियों के लिए हमारे न्यूज़लेटर से जुड़ें!
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