Heart Touching Love Story in Hindi | विक्रम निशा की प्रेम कहानी

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गंगा किनारे बसे विक्रम और उसकी प्रेमिका निशा की दिल छू लेने वाली प्रेम कहानी (heart touching love story in hindi)। दोनों का प्यार परिवार और समाज की बंदिशों से जूझता रहा। उनका प्यार जीत पाया या ज़िंदगी ने उन्हें हमेशा के लिए जुदा कर दिया? पढ़ें यह भावुक कहानी, जो प्यार, बलिदान और अधूरी चाहतों का दर्द बयान करती है।

विक्रम निशा की प्रेम कहानी की शुरुआत

कहानी शीर्षकविक्रम निशा की प्रेम कहानी
लेखकरुस्तम के राय
भाषाहिंदी
कहानी प्रकारदर्द भरी प्रेम कहानी
पात्रविक्रम और निशा
पन्ने6
मूल्यनिशुक्ल
डाउनलोड उपलब्धClick to Download

गंगा नदी के किनारे बसा था एक छोटा सा शहर सूरजपुर, यहीं रहता था 25 साल का एक मेहनती लड़का विक्रम। उसके पिताजी की छोटी-सी किराने की दुकान थी और माँ घर संभालती थी। विक्रम दिन में दुकान पर काम करता और रात को किताबें पढ़ता, क्योंकि वह इंजीनियर बनना चाहता था।

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दूसरी तरफ थी 23 साल की निशा, जिसकी मुस्कान हर किसी का दिल जीत लेती थी। वह एक साधारण परिवार से थी। उसके पिताजी स्कूल में पढ़ाते थे और माँ घर का काम करती थी। निशा को गाना और कविता लिखना बहुत पसंद था। वह अपने गिटार पर पुराने गाने बजाती और अपनी डायरी में दिल की बातें लिखती। लेकिन परिवार की तंगी और समाज के नियम उसे अपने सपने पूरे करने से रोकते थे।

विक्रम निशा की पहली मुलाकात

शहर के एक सांस्कृतिक प्रोग्राम में विक्रम और निशा पहली बार मिले। निशा मंच पर गिटार लेकर “तेरे बिन Song” गा रही थी। उसकी आवाज़ इतनी प्यारी थी कि सब लोग सुनते रह गए। विक्रम, जो अपने दोस्तों के साथ आया था, उसकी आवाज़ में खो गया। गाना खत्म होने के बाद, उसने हिम्मत करके निशा से बात की।

विक्रम ने थोड़ा शरमाते हुए कहा, “तुम्हारी आवाज़ दिल को छू गई” निशा ने हँसकर जवाब दिया, “शुक्रिया! गाना मेरे लिए सब कुछ है।” 

उस रात विक्रम और निशा ने एक दूसरे से गानों, सपनों और ज़िंदगी की छोटी-छोटी चीज़ों के बारे में देर रात तक बातें करी। विक्रम को निशा की सादगी पसंद आई, और निशा को विक्रम की मेहनत और सचाई।

विक्रम निशा के प्यार की शुरुआत

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उस मुलाकात के बाद दोनों अक्सर मिलने लगे। विक्रम निशा को गंगा किनारे ले जाता, जहाँ वे घंटों बातें करते। निशा उसे अपनी कविताएँ सुनाती, और विक्रम अपने इंजीनियर बनने के सपने बताता। एक दिन बारिश में, जब दोनों एक पेड़ के नीचे खड़े थे, विक्रम ने निशा का हाथ पकड़ा और कहा, “निशा, तुम मेरी ज़िंदगी की सबसे खूबसूरत धुन हो।”

निशा की आँखें भर आईं। उसने कहा, “विक्रम, तुम मेरे लिए वो रंग हो, जो मेरी ज़िंदगी को खूबसूरत बनाते हो।”

उनका प्यार बढ़ता गया। विक्रम निशा के लिए छोटी-छोटी चीज़ें करता—कभी नदी किनारे से फूल लाता, तो कभी अपनी कमाई से निशा के लिए डायरी खरीदता। निशा भी विक्रम के लिए गाने और कविताएँ लिखती। लेकिन प्यार की राह आसान नहीं थी।

दोनों के बीच की मुश्किलें

जब निशा के परिवार को उनके प्यार की खबर मिली, तो घर में हंगामा हो गया। निशा के पिताजी ने कहा, “विक्रम बस एक दुकान पर काम करता है। तुम्हारी शादी किसी अच्छे घर में होगी।” निशा ने बहुत समझाने की कोशिश की, लेकिन कोई नहीं माना। विक्रम के घर में भी परेशानी थी। उसकी माँ ने कहा, “बेटा, पहले कुछ बन जा, फिर प्यार की बात करना।”

विक्रम ने ठान लिया कि वह पढ़ाई पूरी करके अच्छी नौकरी पाएगा, ताकि निशा के परिवार का भरोसा जीत सके। उसने दिन-रात मेहनत शुरू कर दी। निशा चुपके-चुपके उससे मिलती और उसका हौसला बढ़ाती। लेकिन ज़िंदगी ने उनके लिए और मुश्किलें खड़ी कीं।

एक बड़ा झटका

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एक दिन निशा को पता चला कि उसके पिताजी ने उसकी शादी एक अमीर परिवार में तय कर दी है। निशा ने इसका विरोध किया, लेकिन उसे घर में बंद कर दिया गया। उसी समय विक्रम को भी दुखद खबर मिली। उसके पिताजी को दिल का दौरा पड़ा और उनकी हालत बहुत खराब हो गई। अस्पताल का खर्चा और परिवार की ज़िम्मेदारी विक्रम पर आ गई, वह टूटने लगा, लेकिन निशा के लिए उसने हिम्मत बनाये रखी।

विक्रम ने निशा को एक चिट्ठी लिखी, जो उसने अपनी दोस्त के ज़रिए भेजी: 

“निशा, तुम मेरी ताकत हो। मैं वादा करता हूँ, तुम्हें कभी नहीं खोऊँगा। बस थोड़ा समय दो।” 

निशा ने जवाब दिया, “विक्रम, तुम मेरे लिए सब कुछ हो। मैं इंतज़ार करूँगी, चाहे कितना भी समय लगे।”

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प्यार में बलिदान

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समय बीता। विक्रम ने अपनी पढ़ाई पूरी की और एक इंजीनियरिंग कंपनी में नौकरी पा ली। वह निशा के परिवार से मिलने गया, लेकिन उसे पता चला कि निशा की शादी का दिन बहुत करीब है। निशा ने आखिरी बार उससे मिलने की गुज़ारिश की। गंगा किनारे, जहाँ उनका प्यार शुरू हुआ था, दोनों मिले।

निशा की आँखों में आँसू थे। उसने कहा, “विक्रम, मैं तुमसे बहुत प्यार करती हूँ, लेकिन मैं अपने परिवार के आगे  घुटने टेक चुकी हूँ…” 

विक्रम ने उसका हाथ अपने हाथों में लिया और कहा, “निशा, तुम्हारी खुशी मेरे लिए सबसे ज़रूरी है। अगर तुम्हारी शादी से तुम्हारा परिवार खुश है, तो मैं पीछे हट जाऊँगा। लेकिन मेरा प्यार हमेशा तुम्हारे साथ रहेगा।”

निशा रोते हुए उससे लिपट गई। उस रात, दोनों ने आखिरी बार एक-दूसरे को गले लगाया।

प्यार का अंत

निशा की शादी हो गई। विक्रम ने खुद को काम में डुबो लिया, लेकिन उसका दिल हमेशा निशा के लिए धड़कता रहा। कुछ साल बाद, एक प्रोग्राम में विक्रम ने “तेरे बिन” गाना सुना। मंच पर एक लड़की गा रही थी, और उसकी आवाज़ में निशा की याद थी। गाना खत्म होने के बाद, विक्रम को एक चिट्ठी मिली: 

“विक्रम, तुम मेरे पहले और आखिरी प्यार हो। मैं जहाँ भी हूँ, तुम मेरे दिल में हो। —निशा।”

विक्रम की आँखें नम हो गईं। उसने आंखें बंद करी और आंहें भरते हुए धीमे से मुस्कुराया, क्योंकि उसे यकीन था कि उनका प्यार हमेशा ज़िंदा रहेगा, भले ही ज़िंदगी ने उन्हें अलग कर दिया। और बस इसके बाद विक्रम ने अपनी पूरी ज़िन्दगी ऐसी ही तन्हाई में गुज़ार दी।

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